मेरी नज़रों में तुम्हें… मिल जाता है अपना जवाब… मेरी नज़रों में तुम्हें… मिल जाता है अपना जवाब…
एक बिंदु में प्रकाश,प्रकाश में असंख्य बिंदु,असंख्य बिंदु चेतना के,चेतना में सच, एक बिंदु में प्रकाश,प्रकाश में असंख्य बिंदु,असंख्य बिंदु चेतना के,चेतना में सच,
कभी, ना कहीं कोई बंधन हो… सिर्फ स्मृतियों का स्पंदन हो… कभी, ना कहीं कोई बंधन हो… सिर्फ स्मृतियों का स्पंदन हो…
जीने के लिए रोज़ मर रहे थे, जीने के लिए रोज़ मर रहे थे,
समझाने पर समझ न आना, लगता बहुत अजीब है अरे ! वह तो एक गरीब है , वह तो एक गरीब है ।..................... समझाने पर समझ न आना, लगता बहुत अजीब है अरे ! वह तो एक गरीब है , वह तो एक गरीब है...
ग़ज़ल ग़ज़ल